सुकूनियत

वो सुबह उठना, आराम से
चाय चढ़ा कर अदरक कूटना
फिर आंगन में खड़े खड़े ब्रश करना
ना कोई शोर, ना कोई संवाद
फोन कहीं कोने कतरे में बंद पड़ा हुआ
सूरज की किरणे, पूरे घर को प्रज्वलित करती हो
वो लेके बैठना आंगन में एक बड़ा सा बीन बैग और एक मुराकामी की किताब
बस अगले चंद घंटे...
गरमा गर्म चाय के प्याले - एक के बाद एक
मुराकामी के पन्ने - एक के बाद एक...

Tilak Shrivastava
Tilak Shrivastava

Written by Tilak Shrivastava

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